कुबेर कुंजी को पहले गंगा जल अथवा कच्चे दूध का छिड़काव कर शुद्ध करें।
पुराणों के अनुसार पारद शिवलिंग का महत्व
पारद शिवलिंग तयार करणे खूप अवघड काम आहे. सर्वात पहिले पारा शुद्ध केला जातो. त्यानंतर विविध औषधी मिसळून द्रवरूप पाऱ्याचे बंधन केले जाते म्हणजे ठोस बनवले जाते.
पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है। रावण को रस सिद्ध योगी भी माना गया है, और इसी शिवलिंग का पूजन कर उसने अपनी लंका को स्वर्ण की लंका में तब्दील कर दिया था।
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क्या इन शिवलिंगों को खरीदते समय किसी विशेष बात का ध्यान रखना चाहिए?
पारदशिवलिंग इतना शक्तिशाली शिवलिंग है की अगर पूजा करने वाले उपासक पर कोई संकट आता है तो यह शिवलिंग स्वयं अपने get more info ऊपर ले लेता है और टुट जाता
स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम्।।
ओढ्याला पूर आल्याने बैलगाडीसह गाय-वासरू गेले वाहून
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्।
अंत में वह सब सुखो को भोग कर वह मोक्ष को प्राप्त करेगा
सिद्धिदात्री – ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धयै नमः।।
आमतौर पर हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है, जिनके हाथ, पैर, चेहरा आदि होता है, लेकिन एकमात्र शिव ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों रूपों में पूजे जाते हैं.